
खाटू श्याम जी की पूजा एकादशी को ही क्यों की जाती है ?
खाटू श्याम जी की पूजा एकादशी को इसलिए की जाती है क्योंकि यह दिन उनके भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। एकादशी का दिन हिंदू पंचांग में विशेष महत्व रखता है, और यह दिन भगवान श्याम के आशीर्वाद प्राप्ति के लिए उपयुक्त माना जाता है। खाटू श्याम जी की पूजा विशेष रूप से शुक्ल पक्ष की एकादशी को की जाती है, क्योंकि इस दिन व्रत और आराधना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।
खाटू श्याम जी और एकादशी का सम्बंध
खाटू श्याम जी के भक्त मानते हैं कि एकादशी का दिन उनकी कृपा पाने का महत्वपूर्ण अवसर होता है। इस दिन विशेष व्रत रखकर, पूजा अर्चना की जाती है जिससे बाबा के आशीर्वाद से जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं। एकादशी हर महीने दो बार आती है — शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में, लेकिन शुक्ल पक्ष की एकादशी की पूजा विशेष शुभ मानी जाती है। इस दिन भक्त बाबा को फूलों से सजाते हैं, गुलाब के इत्र से स्नान कराते हैं और 56 भोग अर्पित करते हैं।
पूजा विधि और व्रत का महत्व
एकादशी के दिन खाटू श्याम जी की पूजा में विशेष रूप से शुद्ध मन और श्रद्धा से व्रत रखा जाता है। भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम को बाबा की आरती करते हैं। पूजा में गंगाजल से अभिषेक, दीप प्रज्वलन और भजन-कीर्तन का विशेष स्थान होता है। इस पूजा से भक्तों को जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि मिलती है। साथ ही, यह व्रत मोक्ष और पापों से मुक्ति का भी माध्यम माना जाता है।
एकादशी का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
एकादशी हिंदू धर्म में व्रत और पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। खासकर खाटू श्याम जी की पूजा इस दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिन उनकी प्राकट्य या प्रकट होने की याद दिलाता है। भक्ति और व्रत के कारण एकादशी का दिन भगवान श्याम की कृपा प्राप्त करने का सबसे शुभ समय माना जाता है। इस दिन खाटू धाम में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पूजा और दर्शन के लिए आते हैं।
पूजा विधि और व्रत का महत्व
एकादशी के दिन खाटू श्याम जी की पूजा में विशेष रूप से शुद्ध मन और श्रद्धा से व्रत रखा जाता है। भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम को बाबा की आरती करते हैं। पूजा में गंगाजल से अभिषेक, दीप प्रज्वलन और भजन-कीर्तन का विशेष स्थान होता है। इस पूजा से भक्तों को जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि मिलती है। साथ ही, यह व्रत मोक्ष और पापों से मुक्ति का भी माध्यम माना जाता है।
खाटू श्याम जी का इतिहास
खाटू श्याम जी का असली नाम बर्बरीक था, जो महाभारत के समय एक महान योद्धा थे। उन्होंने अपने प्रबल त्याग और भक्ति से भगवान कृष्ण का दिल जीत लिया। कहा जाता है कि बर्बरीक ने महाभारत युद्ध में भाग लेने के लिए अपना सिर भगवान कृष्ण को अर्पित कर दिया था। इसके बाद उन्हें खाटू श्याम के रूप में पूजनीय माना गया। भक्तों का विश्वास है कि बाबा श्याम हर संकट में उनके सहारा और मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
एकादशी का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
इस प्रकार, खाटू श्याम जी की पूजा एकादशी को इसलिए की जाती है क्योंकि यह उनके भक्तों के लिए अत्यंत शुभ दिन होता है, जिसमें व्रत और पूजा से बाबा की कृपा से जीवन की समस्त बाधाएं दूर हो जाती हैं और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। इस पवित्र दिन के पूजन से भक्तों को आध्यात्मिक शांति, सफलता और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन की विशेष पूजा विधि और इतिहास भक्तों को उनकी आस्था और भक्ति को और भी प्रगाढ़ करती है।
यह ब्लॉग खाटू श्याम जी की पूजा और एकादशी के महत्व को विस्तार से बताता है और इसका इतिहास भी प्रस्तुत करता है जो भक्तों के लिए मार्गदर्शन का काम करेगा।